आत्म निर्भर भारत को बनाने में कृषि से बडा कोई क्षेत्र नहीं, महापुरुषों की धरती रही हैं चम्पारण
स्वराज न्यूज/मोतिहारी। महात्मा बुद्ध की वाणी, गांधी जी की कर्मभूमि व आदि कवि बाल्मीकि का निवास स्थान चम्पारण रहा है। उक्त बातें जिले के पीपराकोठी में आयोजित पशु आरोग्य मेला के अंतिम दिन अपने संबोधन में विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा। कहा कि इस धरती को एक नई पहचान 105 वर्षों के बाद फिर से दिलाने के लिए प्रधानमंत्री ने किसानों के प्रति समर्पित भाव से, संकल्पित भाव से जो भगीरथी अनूठी प्रयास किया है ,उस प्रयास को हमारा पीढ़ी गर्व महसूस करेगा । लेकिन उससे ज्यादा वैज्ञानिक तरीके से कृषि को अपने जीवन में अपनाकर हम आत्म निर्भर भारत की ओर अपना कदम बढ़ा सकते हैं। इसको लेकर प्रधानमंत्री मोदी आत्म निर्भर भारत के मनोभाव को मन में जगाया। यह महज संयोग है कि 19वीं सदी में स्वामी विवेकानंद जी ने भविष्यवाणी किया था कि 21वीं सदी भारत का होगा। आज वह भविष्यवाणी सच होते दिख रहा है। आज दुनिया के कई देश जहा बुढ़ापे के दहलीज पर है वही भारत जवानी की कदम पर खड़ा है।21वीं सदी के 21 वर्ष के सफर में आप देख रहे हैं कि कितना बड़ा परिवर्तन हो रहा है।कभी हमने कल्पना भी किया था कि बिहार के आधी आबादी अंधेरे में था। और आज पूरी घर में बिजलु की रौशनी पहुंच रही है। यह 21वीं सदी के अंदर है और वह भविष्यवाणी धरातल पर चरितार्थ हो रही है। विश्व की दो तिहाई युवाओं की आबादी भारत में है।यह 21वीं सदी में ही क्यों, यह पहले क्यो नहीं हुआ। स्वामी विवेकानंद की भविष्यवाणी आज कई संकेत दे रहे हैं। की शताब्दी वर्ष में भारत विश्व गुरु बनेगा। आप चौराहे पर खड़ा होकर दिग्भ्रमित न रहे और सकारात्मक सोच के साथ अपने राष्ट्र, समाज व परिवार के जिंदगी को बेहतर कर करें। युवाओं को मन के अंदर वह ऊर्जा लानी है जो नकारात्मक ऊर्जा से देश को मुक्त कर सके। कहा कि उन सारे विकारों को मन से हटा देना है जिसने 75 वर्षो तक देश को जकड़ा रखा। आजादी की लड़ाई में जिन महापुरुषों ने बलिदान दिया।उनके वाणी को याद रखना होगा। जिनके नाम पर हम राजनीत कर रहे है। मां भारती की धरती पर जन्म लिए है वे सभी एक और उनकी संतान है। जात पात धर्म से उपर उठकर सोचना है। संविधान की दुहाई देकर मौलिक अधिकार की बात करता है वह अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं करता है। उनको यह सिख लेनी होगी कि मौलिक अधिकार वाली संविधान के मूल पृष्ठ पर भाग तीन पर भगवान राम, माँ जानकी और लक्ष्मण का चित्र है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस मौलिक अधिकार के साथ ही क्यों लगाया था। और दूसरे भाग में क्यों नहीं लगाया।।इसलिए लगाया कि हम अधिकार की बात करते समय मर्यादा का ख्याल रखें। हम अधिकार की बात करते है परंतु मर्यदा को कही न कही खोते जा रहे हैं जिससे समाज के अंदर लंबी खाई बनती जा रही है।उन्होंने कहा कि जीभ इतनी सुंदर है उसके बिना स्वाद और स्पस्ट आवाज नहीं निकल सकती। परन्तु वह दाँत के बीच ही रहता।किसान भी उसी प्रकार संकटों को झेलते हुए दुनिया का पेट पालते हैं। हमारे किसान एक नए इतिहास के तरफ कदम बढ़ा रहे है।उन्नत तकनीक से खेती कर उनकी आय दुगुनी होगी और देश खुशहाल होगा। आत्म निर्भर भारत को बनाने में कृषि क्षेत्र से कोई बड़ा क्षेत्र नहीं है।