स्वराज न्यूज/मोतिहारी। अग्निहोत्र से वायु, वृष्टि, जल की शुद्धि होकर औषधियां शुद्ध होती हैं। शुद्ध वायु का श्वास स्पर्श, खान-पान से आरोग्य, बुद्धि, बल व पराक्रम बढ़ता है। इसे देवयज्ञ भी कहते हैं क्योंकि यह वायु आदि पदार्थों को दिव्य कर देता है। कहा जाता है कि परोपकार की सर्वोत्तम विधि हमें यज्ञ से सीखनी चाहिए। जो हवन सामग्री की आहूति दी जाती है उसकी सुगंध वायु के माध्यम से अनेक प्राणियों तक पहुंचती है। वे उसकी सुगंध से आनंद अनुभव करते हैं। यज्ञकर्ता भी अपने सत्कर्म से सुख अनुभव करते हैं। सुगंध प्राप्त करनेवाले व्यक्ति याज्ञिक को नहीं जानते और न ही याज्ञिक उन्हें जानता है फिर भी परोपकार हो रहा है वह भी निष्काम रूप से। यज्ञ में चार प्रकार के हव्य पदार्थ डाले जाते हैं। सुगंधित केसर, अगर, तगर, गुग्गल, कपूर, चंदन, इलायची, लौंग, जायफल, जावित्री आदि इसमें शामिल हैं। मलमूत्र के विसर्जन, पदार्थों के गलने-सड़ने, श्वास-प्रश्वास की प्रक्रिया, धूम्रपान, कल-कारखानों, वाहनों, भट्ठों से निकलनेवाला धुआं, संयंत्रों के प्रदूषित जल, रसायन तत्व एवं अपशिष्ट पदार्थो आदि से फैलनेवाले प्रदूषण के लिए मानव स्वयं ही उत्तरदायी है। अत: उसका निवारण करना भी उसी का कर्तव्य है। वस्तुत: पर्यावरण को शुद्ध बनाने का एकमात्र उपाय यज्ञ है। यज्ञ प्रकृति के निकट रहने का साधन है। रोग-नाशक औषधियों से किया यज्ञ रोग निवारण वातावरण को प्रदूषण से मुक्त करके स्वस्थ रहने में सहायक होता है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने भी परीक्षण करके यज्ञ द्वारा वायु की शुद्धि होकर रोग निवारण की इस वैदिक मान्यता को स्वीकार किया है। प्राय: लोगों का विचार है कि यज्ञ में डाले गए घृत आदि पदार्थ व्यर्थ ही चले जाते हैं परंतु उनका यह विचार ठीक नहीं है। विज्ञान के सिद्धांत के अनुसार कोई भी पदार्थ कभी नष्ट नहीं होता अपितु उसका रूप बदलता है। अत: यज्ञ करते हुए बड़े प्रेम से वेदमंत्र बोलकर आहूति देते रहे जिससे मन शुद्ध, पवित्र और निर्मल बन जाए। प्रदूषण समाप्त हो जाए। जनता खुशहाल हो व विश्व का कल्याण हो। उक्त बातें जिले के अरेराज प्रखंड के खोड़ी पाकड़ ग्राम में चल रहे श्री लक्ष्मीनारायण सह हनुमत् व शिव सपरिवार प्राणप्रतिष्ठा महायज्ञ में महर्षि गौतम ज्योतिष परामर्श एवं अनुसंधान केन्द्र चम्पारण ‘काशी’ के संस्थापक यज्ञाचार्य अभिषेक कुमार दूबे व आचार्य शिवम् चौबे ने कही। यज्ञ को आचार्य प्रणव कश्यप, आचार्य सूरज मिश्रा, आचार्य रवि पाण्डेय, आचार्य मणिकांत दूबे, आचार्य सतीश पाण्डेय, पं. अनिकेत पाण्डेय द्वारा यज्ञ संपन्न कराया जा रहा है । प्रधान यजमान संजय सिंह व अन्यों द्वारा यज्ञ नारायण का द्रव्याधिवास किया ।