स्वराज न्यूज। इस वर्ष करवा चौथ 13 अक्टूबर गुरुवार को है।चन्द्रोदय रात 7 बजकर 53 मिनट पर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाएगा। सौभाग्यवती स्त्रियां एवं नवविवाहितायें अपने सौभाग्य वृद्धि के लिये इस व्रत को बड़ी श्रद्धा एवं विश्वास के साथ करती है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए कामना करती है। करवाचौथ के दिन महिलाओं को पूजा का विशेष ध्यान देना होता है। महिलाएं चंद्रोदय की रस्म के लिए अपनी पूजा की थाली को सजाती है। फिर चंद्रमा की पूजा कर अपने पति को चलनी में से देखकर उनके हाथ से जल या दूध पीकर व्रत खोलती है। लेकिन जबतक चांद न देखे तब तक महिलाओं को कई चीजों से बचना चाहिए।
हिंदू परंपराओं के अनुसार इस दिन चांद देखने से पहले अगर किसी भी महिला ने अपने सास, मां या किसी भी बुजुर्ग का अनादर करती है तो इससे चंद्रमा नाराज हो जाते हैं और अशुभ फल को देते हैं। उस दिन उसका व्रत पूरा नहीं हो पाता , क्योंकि करवाचौथ पर पति की कामना के साथ बड़े बुजुर्गों का भी महत्त्व होता है।
ऐसे करे करवा चौथ की पूजन :- इस बार करवा चौथ पर ग्रह दशा नक्षत्र तीनें का अद्भुत संयोग बन रहा है |
इस दिन सूर्योदय से पहले उठ कर स्नान करके पति पुत्र पत्नी और उनकी सुख समृद्धि की कामना करके निर्जला व्रत रखे।
इस दिन जो चंद्रमा की पूजा करता है ,उसके सारे पाप दूर हो जाते हैं। उसे लंबी उम्र की प्राप्ति होती है। इस दिन मां पार्वती भगवान शिव और गणेश जी के पूरे दिन ध्यान करके करवा चौथ का चित्र या दिवाल पर गेरू और पिसे चावलों के घोल से करवा माता का चित्र बनाएं और पूजन करें। व्रत संकल्प के साथ शिव गौरी पर जल , गाय का दूध ,दही, घी, मधु, शक्कर अर्पित करें। इसके बाद वस्त्र, पुष्प, कुमकुम, अक्षत, बिल्वपत्र , भांग, धतूरा चढ़ाएं ,धूप दीप दिखाकर हाथ धूल कर मिठाई – फल भोग लगाएं। पान, सुपारी, दक्षिणा के बाद भगवान शिव गौरी से प्रार्थना करें।
उसके बाद चंद्रमा का दर्शन करके चंद्रमा को अर्घ्य दे।
चन्द्रार्घ्यमन्त्र:- ॐ क्षीरोदार्णवसम्भूत अत्रिगोत्र समुद्भव। गृहाणार्घ्यं शशांकेदं रोहिणीसहितो मम।। ज्योत्सनानां पतये तुभ्यं जियोतिषां पतये नम:। नमस्ते रोहिणीकान्त सुधावास नमोस्तुते।। नभोमण्डलदीपाय शिरोरत्नाय धूर्जटे:। कलाभिवर्द्धमानाय नमश्चन्द्राय चारवे।।
पति को चलनी में से देखकर उनके हाथ से जल या दूध पीकर अपना व्रत खोलना चाहिए। उक्त बातें चकिया प्रखंड के परसौनी खेम स्थित महर्षि गौतम ज्योतिष परामर्श एवं अनुसंधान केन्द्र के आचार्य अभिषेक कुमार दूबे ने बताया।