स्वराज न्यूज।शरद पूर्णिमा का दिन बेहद अहम होता है। शरद पूर्णिमा पर अमृतमयी चांद अपनी किरणों से स्वास्थ्य का वरदान देता है। यह सभी पूर्णिमा की रातों में से सबसे अहम रातों में से एक है। इसी से ही शरद ऋतु का आगमन होता है। आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा होती है। इसे कौमुदी उत्सव, कुमार उत्सव, शरदोत्सव, रास पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा एवं कमला पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है ।
शरद पूर्णिमा में खीर के लाभ:
इस दिन खीर का विशेष महत्व होता है। खीर को चांद की रोशनी में रखा जाता है। माना जाता है कि चंद्रमा की रोशनी में रखी हुई खीर खाने से उसका प्रभाव सकारात्मक होता है। यह खीर रोगियों को दी जाती है। कहा जाता है कि इस खीर से शरीर में पित्त का प्रकोप और मलेरिया का खतरा कम हो जाता है। अगर यह खीर किसी ऐसे व्यक्ति को खिलाई जाए जिसकी आंखों की रोशनी कम हो गई है तो उसकी आंखों की रोशनी में काफी सुधार आता है। हृदय संबंधी बीमारी और अस्थमा रोगियों के लिए भी यह खीर काफी लाभदायक है। इससे चर्म रोग जैसी समस्याओं में भी सुधार आता है।
शरद पूर्णिमा पूजा विधि
इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए। साथ ही किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें। हालांकि, कोरोना के चलते नदी पर स्नान करना इस समय संभव नहीं है। ऐसे में घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर नहाना चाहिए। फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। इस पर मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें। मां लक्ष्मी को लाल फूल, नैवेद्य, इत्र जैसी चीजें चुढ़ाएं। फिर मां को वस्त्र, आभूषण, और अन्य श्रंगार पहनाएं। मां लक्ष्मी का आह्वान करें। फिर फूल, धूप , दीप (दीपक), नैवेद्य, सुपारी, दक्षिणा आदि मां को अर्पित करें। इसके बाद लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें और लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें , श्री सूक्त , कनकधारा स्त्रोत का पाठ करें । मां लक्ष्मी की आरती भी गाएं। फिर पूजा धूप और दीप (दीपक) से मां की आरती करें। फिर मां को खीर चढ़ाएं। इस दिन अपने सामार्थ्यनुसार किसी ब्राह्मण को दान करें। मध्यरात्रि को मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं। इसे प्रसाद के तौर पर भी वितरित करें। उक्त बातें चकिया प्रखण्ड परसौनी खेम स्थित महर्षि गौतम ज्योतिष परामर्श एवं अनुसंधान केन्द्र के आचार्य अभिषेक कुमार दूबे ने बताया