स्वराज न्यूज। वेदों में लिखा है कि यज्ञ ही विष्णु है और विष्णु ही यज्ञ है । तैत्तिरीय ब्राह्मण में कहां गया है । यज्ञो वै विष्णु:। भागवत आदि पुराणों में तो सभी यज्ञों को विष्णुपरक ही स्वीकार किया है वसुदेवपरा मखा:। विष्णुयाग के समान श्रेष्ठ याग तीनों लोकों में और कोई नहीं है । यदि विष्णु याग द्वारा भगवान् श्रीविष्णु की आराधना की जाय तो भगवान् श्रीविष्णु अवश्यमेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं । विष्णु याग से समस्त कामनाओं तथा सकल पुरुषार्थों की सिद्धि होती है । यह याग सकल मनोवांछित फलों का विस्तार करने वाला है । यह सच्चिदानन्द भगवान श्रीविष्णु को सदा प्रसन्न करनेवाला है । विष्णुयाग में ब्रह्मा आदि देवगण और महायशस्वी ऋषिगण यज्ञ की रक्षा में कटिबद्ध होकर यज्ञशाला में उपस्थित होते हैं । अत एव इस यज्ञ में न तो कोई विघ्न ही उपस्थित होता है और न कभी किसी जीवकी हिंसा ही होती है ।
अत: केवल इसी लोक में क्या,
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में विष्णुयाग के सदृश दूसरा कल्याण साधन ( उपाय ) नहीं है । उक्त बातें मोतिहारी प्रखण्ड स्थित कटहां लोकनाथपुर ग्राम में चल रहे श्रीविष्णु महायज्ञ के पंचम दिवस महर्षि गौतम ज्योतिष परामर्श एवं अनुसंधान केन्द्र चम्पारण ‘काशी’के आचार्य अभिषेक कुमार दूबे, यज्ञाचार्य रोहन कुमार पाण्डेय ने बताया । इस यज्ञ में आचार्य सतीश पाण्डेय, आचार्य अनिकेत पाण्डेय, आचार्य अवधेश तिवारी, पंकज तिवारी आदि द्वारा पूजन सम्पन्न कराया जा रहा है ।