स्वराज न्यूज़/चकिया। भगवती दुर्गा अपने तीसरे स्वरूप में चन्द्रघंटा नाम से जानी जाती हैं। नवरात्रि के तीसरे दिन दशहरा के विग्रह की पूजा की जाती है। ये परम शांतिदायक और अजनबी रूप हैं। इन मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र है। इसी कारण से अंत्येष्टि चंद्रघंटा देवी को कहा जाता है। इनके शरीर का रंग रोबोट के समान चमकीला है। इनमें से दस हाथ हैं। इनमें से दसों हाथों में खड्ग, बाण अस्त्र-शास्त्र आदि विभूषित हैं। ये वाहन सिंह है। यूक्रेनी मुद्रा युद्ध के लिए उद्यत हासिल करना है। इन एक घंटे में भयानक चंद ध्वनि से राक्षस दानव-दैत्य-राक्षस सदैव प्रकम्पित रहते हैं। नवरात्रि के तीसरे दिन की दुर्गा-उपासना का अत्याधिक महत्व है। माता चंद्रघंटा के पुजारी हमारे इस लोक और परलोक दोनों के लिए परम यात्री और पाइपलाइन गति को देने वाली हैं। उक्त बातें चकिया प्रखण्ड परसौनी घाट स्थित महर्षि गौतम ज्योतिष परामर्श एवं अनुसंधान केन्द्र चम्पारण ‘काशी’ के आचार्य अभिषेक दू कुमारबे ने कहा
माँ चंद्रघंटा का रंग पीला है अत्यंत प्रिय है। इसलिए उन्हें हरे रंग की चटनी, नारियल और मीठा पान पसंद करें और पीले या रंग के वस्त्र स्वयं भी धारण करें। किस राशि के लिए शुभ 12 सबसे अच्छे, मेष राशि के लिए और वृषभ राशि के लिए अति उत्तम। आज के दिन चंद्रघंटा माता को दूध का भोग लगाने से घर में शोक, दु:ख दूर होता है।